☝️☝️🙏क़ृपया उपरोक्त sidebar में आपके पसन्द के विषय को क्लिक कर देखें।🙏☝️☝️

Translate

आओ हँस लें

आओ हँस लें 

प्रजातंत्र का तंत्र


प्रजातंत्र के मंदिर में ये
कैसा अद्भुत खेल,
राजनीति के नाम उडेला
अपना-अपना तेल,
जनमानस को छलते-छलते
भूल गए व्यवहार,
संस्कार छलनी कर डाले
बना दिया व्यापार,
करते कुछ गंभीर
सोचते  सूखे मन  की बात ,
दे जाते  भूखी जनता को
कुछ मीठी  सौगात,
कुर्सी की मारा-मारी में
भूले दुनियादारी,
गन्दा मंदिर कर डाला
क्यों गंदा हुआ पुजारी ?
पक्ष और विपक्ष सभी थे
छिपा अजेंडा  लाये,
सरे आम जनता की आँखों
धुल झोकने आये,
देखा सब कुछ नग्न
सत्य जो छिपा हुआ था,
प्रजातंत्र का तंत्र
प्रजा पर भारी था .
मत भूलो,
मदहोश,
वही फिर जाना  होगा,
छिपा हुआ ये काला  मुह
दिखलाना होगा,
अबकी मिलकर
सबक सिखा देंगे हम सारे,
खुल जायेंगे
छिपे हुए
सब पाप तुम्हारे,
भोली जनता से अपील
अब  ताकत जानो,
खोल पहनकर छिपे
भेडिये को भी पहचानो .

जय हो लोकपाल


बन गया लोकपाल
आओ झूमे गाये,
हल हुए  सवाल
आओ झूमे गाये,
कल तक जो सीना तान कर
चलते थे रिश्वतखोर,
छुप  गये माई के लाल
आओ झूमे गाये,
बिखरे पड़े है नोट
दरवाजे पर काले धन के,
विदेश भाग गाये दलाल
आओ झूमे गाये,
पूरे देश की सड़के
बन गयी चकाचक,
कमीशनबाज़ हुए बेहाल 
आओ झूमे गाये,
भर गयी जेलें
विधायकों , सांसदों से
जय हो लोकपाल 
आओ झूमे गाये. 

नंगे आये है


आओ चलो उठाओ पत्थर
भिखमंगे आये है
दरवाजे पर राजनीति के
नंगे आये है .......
बिजली ,पानी और सड़कों को
रोते रोते हार गए
एक पहर की रोटी खाते
जीवन अपना मार गए
महगाई पर गाल बजाने
तिलंगे आये हैं
 दरवाजे पर राजनीति के
नंगे आये है..........
घोल के पी गए शर्म हया
मन में रत्ती भर नहीं  दया
शमा जली तो देने जान
पतंगे आये है
दरवाजे पर राजनीति के
नंगे आये है  आये है.......
पैरों  गिर कर माफ़ी मांगे
पांच बरस में सोकरजागें
ढंग समझानें दरवाजे पर 
बेढंगे आये है
दरवाजे पर राजनीति के
नंगे आये है.......

नंगा हुआ है दीवाना


वो गला फाड़ कर चिल्लाये
भूखे हो क्या ?
तो भीख क्यों नहीं मांगते
कमबख्त भिखमंगों से कौन मांगे
आज देंगे
कल मांगने  आ जायेंगे
इन्हें तो हर पाच साल में आना है
और कोई न कोई करतब दिखाना है
मदारियों की तरह उछलकूद लेंगे
एक दुसरे पर थूकेंगे
इसकी उसकी धोती उतारेंगे
पुदीने के पेड़ पर
दशहरी आम लगायेंगे
और कहेंगे
सेब खाओगे क्या ?
तैयार हो जाओ
बरसात बाद सेब की फसल आयेगी
और हम मुह बाये ही रहेंगे
ये हमारे बाग़ के सेब भी खायेंगे
और हमरी लगोटी भी उतार लेंगे
इसी लिए हम कहते है
" भैया जी अपनी चड्ढी को रखना सम्हाल
  ये नंगा हुआ है दीवाना "

गजब देश की अजब कहानी

एक देश की अद्भुत रानी
गजब देश की अजब कहानी
राजा की बातें अनमोल
बोले शब्द शब्द  को तोल 
मंत्री,संतरी बागड़ बिल्ला 
उनमे था एक बड़ा चबिल्ला 
लगाया था स्वांशों  पर  टैक्स 
रानी को कर दिया फैक्स 
मंत्री को दरबार बुलाया 
कान पकड़ कर  छत बैठाया 
उसकी जगह दूसरा भेजा 
ये  कायदे की बात करेगा 
वो भी  था पहले से मस्त 
ताक झांक में रहता व्यस्त 
किसके घर  में रहता मोर 
कौन कौन  किस घर में चोर 
सारी ताकत उधर लगाई 
किसने कितनी किसे पिलाई 
रानी की  होती थू थू  
राजा की बस टिम्बक-टू
जितने मंत्री  उतने छोर 
ढीली पड़ती जाती डोर 
राजा तब  सोते से जागा 
खजाना जब  मंत्री  ले भागा 
रानी ने संतरी बुलवाए 
बागड़ बिल्ले पकड़ मंगाए 
राजा बोले  फासी दो 
सब मिल बोले राजा बदलो
राजा  पड गया निपट अकेला 
ये कैसा पड़ गया झमेला
इससे तो अच्छा था मौन 
अब सहारा ढूँढू कौन  
रानी ने रास्ता दिखलाया 
कलयुग का संकेत सुझाया 
कोने जाकर खड़े रहो 
जैसा कहती हूँ करो 
फासी-वासी जाओ भूल 
जाओ राजनीति  स्कूल   
बजने लगा बैंड और बाजा 
टके सेर भाजी टके सेर  खाजा

चुनाव चक्र


चुनाव आये
नेता बोले
मझे फिर जिताओ
मैं अब आपकी
सारी आकान्छाएं
सारी अभिलाषाएं
पूरी करूंगा
पिछले पांच सालों में
आपके लिए कुछ नहीं कर सका
मजबूरी थी
पहले पैरों के नीचे की जमीन जरूरी थी 
वो मजबूत हो गयी
अब आपकी बारी है
आपको उठाने की
कमर कस के तैयारी है 
किसी और को जीतोगे 
मुह की खाओगे 
वो भी 
मेरी प्रक्रिया अपनाएंगे 
पहले स्वयं उठेंगे 
फिर आपको उठाएंगे  
                                                                                        साभार 
                                                                            http://hamareaaspaas.blogspot.in

1 comment: