गुडिया अलबेली
यहाँ वहां तितली बन उडती
मै गुडिया अलबेली,
परियों के संग आना जाना
मैं अनजान पहेली,
जिस घर में पाती हूँ प्यार
मैं उसको अपनाऊ,
वर्ना टाटा बाय बाय कर
कभी पास ना आऊँ,
मै इतनी सुन्दर दिखती हूँ
चंदा भी शर्माए,
मेरे सामने विस्वसुन्दरी
पानी भरने आये,
जो भी देखो गाल नोचता
अपना प्यार दिखता ,
मैं हंसती हूँ ऊपर ऊपर
अन्दर गुस्सा आता,
गोद मुझे मम्मी की भाये
पापा की बाहों का झूला,
पूरे घर की सैर करू तो
खाना पीना भूला,
दादी कहती सोजा बेटी
दादा कहते आजा,
भैया चिकोटी काट के कहता
और बजाओ बाजा.
मै कहती नानी घर जाऊ
नानी कहे कहानी,
नाना कहते मुझे दिखाओ
कहाँ है रोती रानी.
बेटी, बेटे से बढकर
दूर देश से उडकर आयी
मैं परियों की रानी
आओ बच्चो तुम्हें सुनाऊं
प्यारी एक कहानी
इक नन्हीं सी परी उड गयी
दूर देश के घर में
उसको वो घर अच्छा लगता
जो था दूर नगर में
बडे उमंग से उसने घर में
अपने पैर उतारे
घर में आयी परी देखकर
निहाल हो गये सारे
मगर ऐक ने कहा
काश ये बेटा होता
बेटों से ही वंश चलेगा
हमें चाहिये पोता
नन्हीं परी बेहाल हो गयी
सोचा कैसी दुनियां
बेटों से अब कैसी होगी
आधी-आधी दुनियां
नन्ही परी लगी सोचनें
कैसे मैं समझाऊं
बेटी, बेटों से बड्कर हैं
कैसे मैं बतलाऊं
बेटी का सम्मान जहां हो
वो घर चमक बिखेरे
अपमान जहां हो जाये इनका
वहां दरिद्रता घेरे
समझ गये जो वहां हो गयीं
बेटी, बेटे से बढकर
रहे नासमझ वहां चिपकते
आंसू अन्जुली भरकर.
मेरे सपने
मैं हूं एक छोटी सी गुडिया
मेरे सपने भारी,
अभी अभी आयी हूं जग में
खुशियां चाहूं सारी.
मैं सपनों को जगा रही हूं
सोये हैं जो मन में बंद,
पहले किसको पहचानूं
सवाल कठिन,मन में है द्वन्द.
मम्मी की आवाज़ सुनूं या
पापा के मन मे झांकू,
नाना को कोने से देखूं ,या
नानी को सीधे ताकूं.
दादा दादी बुला रहे हैं
लेने को मेरी चुम्मी,
मन करता है टिकट कटाकर
चली जाऊं घुम्मी-घुम्मी.
मामा को मैं जीभ दिखाऊं
चलाऊ पैर की सायकिल,
दोनों हाथ उठाकर जीतूं
मैं अपनें अपनों का दिल.
बन्दर का लव
कब होगी शादी,
सारे बन्दर बच्चे वाले
मेरी उम्र बची आधी,
पापा कान उमेठकर बोले
अरे निखट्टू नामाकूल,
कामधाम की बात कराकर
शादी-वादी जा तू भूल,
छीन झपट कर रोटी खाता
मेहनत से तू जान चुराता,
रोज शिकायत आती घर में
तू है नालायक पाजी,
ऐसे में कौन सा बन्दर
लडकी देने को है राजी,
नटखट तब शर्माकर बोला,
राज ह्रदय का खोला,
लोमड़ी से हुआ है लव,
वही बनेगी पत्नी अब,
पापा अब मै नहीं डरूंगा,
अंतरजातीय विवाह करूंगा,
लोमड़ी के घरवाले राजी
फिर तुमको है क्यों ऐतराज़,
बोलो हां कहते हो या फिर
लोमड़ी संग भागू मैं आज,
बन्दर बोला सुना बंदरिया
अपने बेटे के रंग ढंग,
अब तो अपनी नाक कटेगी
कैसे चले बिरादरी संग .
दीदी तुमको पढना होगा
दीदी तुम घर मैं बैठी हो
हमको भेज रहे स्कूल
लड़का-लडकी में भेद भाव
है पापा मम्मी की भूल
तुमको पढ़ना लिखना होगा
मास्टरनी जी बन्ना होगा
बड़ी बड़ी किताबे पढ़कर
मेंम साब भी लगना होगा
दीदी तुम क्यों चुप बैठी हो
अपनी बात नहीं कहती हो
पापा को समझाओ तो
अपना मन बतलाओ तो
नहीं अकेले अब जाऊंगा
दीदी साथ तुम्हे लाऊंगा .
साभार
http://bachpanme.blogspot.in
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