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आओ हँस लें

आओ हँस लें 

आ गए चुनाव


आ गए चुनाव 
हर गंगे
हम्माम में 
सब नंगे 
हर गंगे 
टोपी ,बिल्ले,
कम्बल, धोती 
इसकी उसकी छीने रोटी 
आओ खेले 
दंगे दंगे   
हर गंगे 
सुरा सुन्दरी दौर चलेगा 
रात रात भर 
ठौर चलेगा 
चाकू, छुरी 
पिस्तौल  पुराने 
AK सैतालिस के 
गए जमाने 
आरडीएक्स 
रखते मुस्टंडे 
हर गंगे 
इसका कुर्ता 
उसकी धोती 
उसकी चड्डी और लंगोटी 
चिंदी कर 
फहराये झंडे 
हर गंगे 
वो पाजी 
वो भ्रटाचारी 
उसको जाति की बीमारी 
आओ खूब 
चलाये डंडे 
हर गंगे

झाड़ू



झाड़ू
घर बुहारने के लिए ली थी
सड़क बुहारने लगी
और यहाँ वहाँ फैले कचरे को बुहार कर
एक जगह इकट्ठा कर लिया
कचरा
पानी मे भीग गया
सड़ गया
और पूरा शहर बजबजाने लगा
अब झाड़ू भी  नाकाम थी
कीचड़ बुहर ही नाही रहा था
झाड़ू की तिलियां भी
कीचड़ से भर गईं
टूट कर बिखरने लगी
सोचा था
देश बुहारेंगे
साफ सुथरा बनाएँगे
घर की गंदगी को भूल कर
देश की गंदगी दिखने लगी
उस गंदगी मे
महक महसूस होने लगी
झाड़ू
किसी और मिशन मे लग गई थी
देश के मिशन मे
घर बंदरों के हवाले छोड़ कर
टूटी तीलियां बदलकर
नई झाड़ू
बढ़ चुकी थी कहीं और
किसी और मिशन पर

आओ अब सरकार बनाएं .......




आओ फिर से सपना देखें
सपने में सरकार बनायें
निकली लम्बी जीभ रसीली
सूखे होंठों पे चमकाएं
आओ  अब सरकार बनाएं .......
बहुत हुए सत्ता से दूर
माल मलाई से मजबूर
आओ , फिर जुगाड़ भिडायें
जोड़ तोड़ की जुगत लगाएं
आओ  अब सरकार बनाये ........
जंग लगे औज़ार सम्हालें
मुर्दे  गड़े , सब खोद निकालें
कफ़न खरीदें या कैफीन
पार्टी हो जाए रंगीन
दंगों की बुनियाद बिछायें
आओ अब सरकार बनाएं
उनसे भी कुछ बड़े घोटाले
तैर रहे जेहन में ......साले
लोकपाल हो ठोंकपाल हो
उनसे ज़रा नहीं घबराएं
आओ अब सरकार बनाएं
एक मोर्चा ,दो मोर्चा , तीन मोर्चा
चार मोर्चा , पांच मोर्चा , सात मोर्चा
मोर्चों का अम्बार लगाये
आओ अब सरकार बनाएं ..
अपनी बस सरकार बनाएं ......

हिंदी की चिंदी

अंग्रेजी 
महलों में रहती है 
हिंदी 
भरती पानी 
सौतन बन  
आयी  जो  घर में 
बन बैठी वो रानी 
सेवा करने की बेईमानी 
मन में  रखती मेंम 
सरकारी पति को 
बस में कर 
बोली होगा चेंज 
अब तो  होगा चेंज 
चलेगी
अपनी घर में 
हिंदी तू बस 
नौकर बन के
रहना पडी नरक  में
ए , बी , सी ,डी   
वन-टू -थ्री - फोर 
होगा अब स्वीकार
अ ,आ ,इ ,ई
एक दो तीन चार
है सारे  बेकार
लगनी  थी
माँ के  माथे  पर
कुमकुम , बिंदी
उनके बेटे उड़ा रहे
हिंदी की चिंदी।   

तुम नेता हो



तुम नेता हो 
भाषणों  में 
असत्य उगलो 
लफंगई रंगों में दौडाओ 
इन्कलाब जिंदाबाद की भीड़ जुटाओ 
बड़ी-बड़ी मूंछों वाले 
पथरीले चेहरे पालो 
अस्मत लूटो 
नालों में रक्त बहाओ 
गलियों में गस्त और कर्फ्यू  लगाओ 
बस तुम अपने घडियाली आंसू  बहाओ 
दौरे से लौटो 
बन्दूक से कारतूस के खुक्खल  निकालो  
कुर्सी पर रहकर 
कुर्सी  का मूल्य जानों 
आपनी आकाओं को पहचानो 
ताकि सुरक्षित रहे जीवन 
अग्रजीवन हेतु ट्रस्ट बनाओ 
सरकारी दया दिखाओ 
चन्दा उगाहो 
रोज नयी अप्सराओं की  गोद में झूलो 
अपने ही गाव की 
सुगंध भूलो ..

.........

पहले तुम 
मेरे मन मंदिर के देवता थे 
मेरा ह्रदय बार-बार तुम्हें 
नमन करता था 
आज देखता हूँ तो 
मुह फेरने का मन करता है 
कारण  तुम  स्वयं हो 
तुमने ही मेरे जीवन के 
कई घरौंदे तोड़े है 
और आज भी तोड़ रहे हो .

चुनावी घोषणा- पत्र


नेताजी चिल्लाए
अबकी न जानवर
न कोई सवारी
और न ही
अंतररास्ट्रीय फूल
अबकी बार
सब कुछ भूल जाओ
बस
तमाचे के साथ आओ
गरीबी हटाओ
बीस सूत्रीय कार्यक्रम
इमरजेंसी
फिर दोहराए जायेंगे
नसबंदी चाहो तो कराना
चाहो तो
विदेश से बच्चे ले आना
हम नहीं रोकेंगे
न हम टोकेंगे
ऍफ़डीआई  जरूर लायेंगे
क्या होता है 
फिर कभी समझायेंगे
माँ कसम लोकपाल लायेंगे
और उन्हें हराएंगे
बस हमें जिताओ
बाकी सब भूल जाओ 
आरक्षण से  कोई   नहीं बचेगा
कुत्ते बिल्लियों को भी 
मुहैया कराएँगे 
आखिर उन्हें भी तो मुख्य धारा में लाना है 
सभी तो आ गए है
ये बेचारे कहाँ जायेंगे 
गन्ना फैक्टर
चीनी मिल जायेगा  और  वही पर
गुड बनाया जायेगा 
काले धन पर 
एशियन पेंट का प्लान है 
जैसा है जहा है 
वही  सफ़ेद किया जायेगा 
आपको भी मौका दिया जायेगा
किसान, मजदूर, गाव वाले
सभी शहर जायेंगे
शहरों में  झोपड़े बनायेंगे
शहर वाले सब गाव   आ जायेंगे
गगनचुम्बी मकान बनायेंगे 
समता मूलक समाज बनायेंगे
गाव और शहर का
फर्क मिटायेंगे.   

आया राम गया राम




एक नेता जी मंच से दहाड़े
मुझे जिताओ
तुम्हारे दरवाजे
दूध की नदियाँ बहा दूंगा
पीने को भले न मिले पानी
तुम्हें  शराब से नहला दूंगा
खुलवा दूंगा  घर घर भट्ठी
फिर रोज बनाओ
रोज़ पाओ
खेती में क्या करोगे फसल बोकर
कभी बाढ़
कभी सूखा
रहोगे भुक्खड़ के भुक्खड़ 
सड़क क्या करोगे
बनी भी तो तुडवा दूंगा
सड़क होगी तो  जल्दी पहुचेगी पुलिश
अब क़ानून से भी तो बचाना है
तुम्हे इन्साफ भी तो दिलाना है
इस कुटीर उद्योग से 
सम्पन्नता आयेगी
माल्या के बाद
तुम्हारी धाक जम जायेगी
तुम्हे मोक्ष दिलाने
बहा देंगे गंगा तुम्हारे दरवाजे    
बस   चुनाव चिन्ह याद रखना
चढ़ ..... की छाती पर
बटन दबाना ...... पर 
तभी सयोजक ने माइक छीना
क्या करते हो
आप कल तक थे उस पार्टी में 
आज मोटरसायकिल के गुण गाओ
उतार फेंको काली टोपी
अब तो  हरी लगाओ
नेताजी नाराज हो गए 
संयोजक से बिगड़  गए
भाड़ में जाये तुम्हारी पार्टी
एक कद्दावर से माइक छीनते हो
किस होश में हो
वो नीचे देखो
गुलदस्ता लिए खड़े है
नेताजी से  कह दो
विरोध दर्ज करा रहा हूँ
फूल वाली पार्टी में जा रहा हूँ
कल से बखिया उधेरूगा
किसी भकुए को नहीं छोडूंगा. 
                                                                                            साभार 
                                                                http://hamareaaspaas.blogspot.in

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