हिंदी हमें नहीं आती
अंग्रेजी में पढ़े बढे हम
हिंदी हमें नहीं आती
भाषा की कैसी परिभाषा
फूटी आँख नहीं भाती
मम्मी पापा, माम डैड हैं
दादा-दादी ग्रांड
भैया मेरे नंबर वन हैं
लगते जेम्स बांड
दीदी जब कालेज से आती
ऐसे करती एक्शन
जैसे वो मस्ती चैनल में
करती जैनेट जैक्शन
मम्मी हाय हैलो में रमती
पापा क्लब में बंद
भैया दीदी पब में जाते
मन में अन्तर्द्वन्द
कहाँ गए रावन के राम
कहाँ गयी सीता माता
कहाँ गए राधा और कृष्ण
कैसे टूट गया नाता
राम लीला में मेला देखो
दीवाली में पपलू
होली में मुह काला करके
बन जाओ बस बबलू
होली में मुह काला करके
बन जाओ बस बबलू
हिन्दी बहुत डराएँ
काम न कहना
मेरा कठिन समय
सालाना इक्जाम हो रहे
सर पर सवार है भय
अंग्रेजी और मैथ की होगई
है सारी तैयारी
हिन्दी से डर लगता मुझको
रूह कांपती सारी
क्या ये है बेकार की भाषा
अक्षर औ मात्राएँ
संस्कृत के सब श्लोक और शैली
मुझको बहुत डराएँ
सीधी सी , अन्ग्रेजी भाषा
न टेढ़ी मात्राएँ
बचपन से ही जिंगल धुन
रटे और रटाये
मास्टर जी से टीचर जी की
कितनी प्यारी गरिमा
अंग्रेजी की मेंम की देखो
कैसी सुन्दर महिमा
हिन्दी वाली टीचर जी की
कैसी कठिन पढाई
उन्सठ,उनहत्तर ,उन्यासी ,नवासी
मुझ्कॊ समझ न आयी
जैसे तैसे बीत जाए सब
होजाए हम पास
हिन्दी से तौबा हो जाये
मिल जाए बस क्लास .
इन्टरनेट पर ही मनेंगे अब सारे त्यौहार .
और नहीं टाफी, बैलून
अब तो मन लगाकर पढने
दूर देश जाना "रंगून"
गुडिया- गुड्डे की शादी के
खेल से मत भरमाओ
कंप्यूटर लाकर दो मुझको
उसमे नेट लगवाओ
ट्वीटर पर मैं ट्वीट करूंगी
फेशबुक पर चैटिंग
इन्टरनेट पर मैं समझूँगी
कैसी होती नैटिंग
स्मार्टफ़ोन और टैबलेट पीसी
सब अपने औजार्
इन्टरनेट पर ही मनेंगे
अब सारे त्यौहार .
देखो खूब भिगोते बादल
देखो कैसे रोते बादल
पानी कैसे ढोते बादल
अगर कही बच्चे मिल जाते
देखो खूब भिगोते बादल
गली मोहल्ले बिखरे बादल
बदली बनके निखरे बादल
हरियाली के चादर ताने
देखो कैसे बिफरे बादल
सांझ अँधेरा करते बादल
रात में खूब बरसते बादल
छप्पर में बस टप .टप .टप .टप
देखो खूब टपकते बादल
फिसले बच्चे गिरे धडाम
कपड़ों का बस काम तमाम
घर आँगन में फैला दलदल
ऐसा बदला लेते बादल
हम बच्चों से कैसी रार
भूलो बादल अब तकरार
आओ हमको गोद उठाओ
टिप-टिप वाला राग सुनाओ
कैसे अब नव वर्ष मनाये
बड़े कड़ाके की सर्दी है
ऊपर से रिमझिम पानी,
नए वर्ष की सर्दी ने बस
याद दिलाई नानी,
सूरज दादा ठण्ड के मारे
छिप गए बादल पार ,
बिना टोप के जो भी निकला
उसको चढ़ा बुखार,
गरम चाय और गरम कचौड़ी
मम्मी आज बनाओ ,
खायेगे कम्बल में घुसकर
बिस्तर में दे जाओ,
दादा पहने बन्दर टोपी
दादी ओढ़े शाल,
फिर भी कट-कट दांत बज रहे
हाल हुआ बेहाल,
कैसे अब नव वर्ष मनाये
बाहर भीतर पानी,
पार्टी किसी और दिन होगी
बिगड़ी आज कहानी .
गुडिया की शादी.....
कैसे सजे धजे बाराती.
प्यारी धुनें बजता बैंड,
नाच रहे गुड्डे के फ्रैंड.
जगमग जगमग जलती लाईट,
हो गयी रंग बिरंगी नाईट.
गुडिया ले आयी जैमाल,
गुड्डे जी ने किया कमाल.
पहले दे दो मोटर कार ,
तभी गले में डालू हार.
गुड्डे जी के देखे रंग,
घर वाले सब हो गए दग.
गुडिया बोली वापस जाओ,
मुझे न काला मुह दिखलाओ.
लालच का जो हुआ शिकार,
ऐसा दूल्हा है बेकार .
जिसमे पापा की बर्बादी,
नहीं चाहिए ऐसी शादी .
साभार
http://bachpanme.blogspot.in
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